मध्ययुगीन काल में मंधाता ओंकारेश्वर पर धार के परमार, मालवा के सुल्तान, ग्वालियर के सिंधिया जैसे तत्कालीन शासकों का शासन रहा और फिर अंत में यह 1894 मैं अंग्रेजों के अधीन हो गया |
आधिपत्य के तहत आदिवासी भील सरदार नथ्थू भील का तब शासन था का शासन था और दरियाव गोसाई ने अपने अधिपत्य के लिए जयपुर के राजा का दरवाजा खटखटाया। राजा ने मालवा की सीमा पर अपने भाई भरतसिंह चौहान, जो की झालरापाटन के सूबेदार थे भेजा है। अंत में पूरे संघर्ष का अंत भरतसिंह चौहान की शादी नत्थू भील की ही बेटी के साथ होने पर हुआ । राजपूत सहयोगियों की भी अन्य भील लड़कियों से शादी हुई | 1165 ईस्वी उनके वंशजों को भिलाला कहा जाता था | वो सब मंधाता में बस गए। भरतसिंह चौहान के वंशजों का ओंकारेश्वर में राज रहा । ब्रिटिश शासन के दौरान इन्सब्को राव रूप में जाना जाता था , उनकी जागीर अधिकार के रूप में मंधाता ओंकारेश्वर था, सब अब समाप्त कर दिया। भरतसिंह चौहान के भावी वंशज राजपूतों कहाते है।
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ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर एक पांच मंजिला इमारत है जिसकी प्रथम मंजिल पर भगवान महाकालेश्वर का मंदिर है तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ महादेव चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव और पांचवी मंजिल पर राजेश्वर महादेव का मंदिर है
ओमकारेश्वर मंदिर के सभामंडप में साठ बड़े स्तंभ हैँ जोकि 15 फीट ......पूरा पढ़िए |
ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का सही नाम अमरेश्वर मंदिर है। यह मंदिर भी पञ्च मंजिला मंदिर है हर मंजिल पर शिवालय है | इस मंदिर प्रांगण में छह मंदिर और भी हैं |पत्थर के बेहतरीन कम वाला यह मंदिर अब पुरातत्व के अधीन है | देवी अहिल्या बाई के समय ......पूरा पढ़िए |
अन्नपूर्णा मंदिर ट्रस्ट इंदौर द्वारा निर्मित यह एक प्राचीन तरह का मंदिर है । यहाँ लक्ष्मी , पार्वती और सरस्वती का एक मंदिर है ।
यहां भगवान विष्णु के भगवत गीता वाले विराट स्वरूप की 35 फिट ऊंची मूर्ति आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
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