श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग

नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं की चरम आस्था का केंद्र है । ओम्कारेश्वर का यह शिव मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है और यहां पर मां नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती है नर्मदा के उत्तरी तट पर ओंकार पर्वत पर जो कि एक द्वीप के रूप में ओमकारेश्वर अत्यंत ही पवित्र व सिद्ध स्थान है । हिंदुओं में सभी तीर्थों के दर्शन पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन व पूजन विशेष महत्व है । तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं अन्यथा वे अधूरे ही माने जाते हैं | 
अनेक अन्य मंदिरों के साथ ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा जी के दक्षिणी तट पर विराजमान है , द्वादश ज्योतिर्लिंग में भी उल्लेखित है इसका प्राचीन नाम अमरेश्वर महादेव है संभवत वर्षा ऋतु बाढ़ इत्यादि के समय जब ओम्कारेश्वर पहुंचना संभव ना होता होगा तब इसके दर्शन से ही धर्मावलंबी संतुष्ट होते होंगे | 

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। 
उज्जयिन्यां महाकाल मोङ्कारममलेश्वरम्॥1॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रात: पठेन्नर:।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर

ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर एक पांच मंजिला इमारत है जिसकी प्रथम मंजिल पर भगवान महाकालेश्वर का मंदिर है तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ महादेव चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव और पांचवी मंजिल पर राजेश्वर महादेव का मंदिर है

ओमकारेश्वर मंदिर के  सभामंडप में  साठ  बड़े स्तंभ हैँ जोकि 15 फीट ......पूरा पढ़िए |

ओम्कारेश्वर के मंदिर

ओम्कारेश्वर में अनेक मंदिर हैं नर्मदा के दोनों दक्षिणी व उत्तरी तटों पर मंदिर हैं । पूरा परिक्रमा मार्ग मंदिरों आश्रमो से भरा हुआ है । 

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ओमकारेश्वर का इतिहास

मध्ययुगीन काल में मंधाता ओंकारेश्वर पर धार के परमार, मालवा के सुल्तान, ग्वालियर के सिंधिया जैसे तत्कालीन शासकों का शासन रहा और फिर अंत में यह 1894  मैं अंग्रेजों के अधीन हो गया | 
आधिपत्य के तहत आदिवासी भील सरदार नथ्थू भील का तब शासन था का शासन था और ......पूरा पढ़िए |

परिक्रमा पथ

ओम्कारेश्वर में ओमकार पर्वत का परिक्रमा पथ लगभग ७ किलोमीटर लंबा रास्ता पक्का सीमेंट का बना है रस्ते भर मनोरम दृश्य देखने को मिलते है परिक्रमा मार्ग पर बहुत सरे मंदिर व आश्रम है । परिक्रमा पथ पर सुंदर संगम स्थल भी आता है  । परिक्रमा पथ के मुख्य मंदिर ......पूरा पढ़िए |

ओमकारेश्वर एक विकसित धार्मिक पर्यटन केंद्र है

ओमकारेश्वर पुराने किसी गाँव जेसा नहीं रहा है अब ओमकारेश्वर एक विकसित धार्मिक पर्यटन केंद्र है | कम व अधिक दरों वाले सामान्य व वातानुकूलित होटल , रेस्टारेंट इत्यादि हैं | यहाँ कई नए घाटों का निर्माण किया गया हे व पुराने घाटों की मरम्मत की गई है | कई ......पूरा पढ़िए |

कैसे पहुंचे ओम्कारेश्वर ।

वायु मार्ग द्वारा 

समीपस्थ हवाईअड्डा इंदौर है जो की लगभग ७५ किलोमीटर दूर है  और पुरे भारत से जुड़ा हुआ है  । 

रेल मार्ग द्वारा (वर्तमान में बंद है )

ओम्कारेश्वर से १२ किलोमीटर दूर रेलवे स्टेशन है, मोरटक्का (ओम्कारेश्वर रोड़ ) यह खंडवा - रतलाम रेल मार्ग पर है ।

वर्तमान ......पूरा पढ़िए |

आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा "एकात्मता"

मध्य प्रदेश के तीर्थ स्थल ओंकारेश्वर में दर्शनीय स्थलों की सूची में नया स्थान आकार ले रहा है. यहां आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची अष्टधातु से बनी प्रतिमा स्थापित होने के अंतिम चरण में है। यह प्रतिमा 54 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थापित की जा रही है ।.
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महाशिवरात्रि उत्सव उल्लास के साथ मनाया गया |

ओमकारेश्वर में महाशिवरात्रि का उत्सव अत्यंत उल्लास के साथ  परम्परागत रूप से मनाया गया | प्रातः ४.०० बजे से संतो महात्माओ के दर्शन के साथ लाखों लोंगो ने नर्मदा स्नान के साथ ज्योतिर्लिंग सहित शिव मंदिरों के दर्शन किये | 

 

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नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा

नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा के अंतर्गत मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ओम्कारेश्वर में जून अखाडा प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर श्री अवधेशानन्द जी ,साध्वी ऋतंभरा सहित अनेक संतो के सानिध्य में अनेक घोषणाएं की जिनमे
-तीर्थकर की समाप्ति ।
-नर्मदा में कुछ स्थानो पर निरंतर बहाव ।
-नर्मदा नदी से ......पूरा पढ़िए |