ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग

ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का सही नाम अमरेश्वर मंदिर है। यह मंदिर भी पञ्च मंजिला मंदिर है हर मंजिल पर शिवालय है |  इस मंदिर प्रांगण में छह मंदिर और भी हैं |पत्थर के बेहतरीन कम वाला यह मंदिर अब पुरातत्व के अधीन है | देवी अहिल्या बाई के समय से यहाँ शिव पार्थिव पूजन होता रहा है, २२ ब्राह्मण प्रतिदिन सवा लाख पार्थिव शिव लिंगों द्वारा ममलेश्वर महादेव का पूजन किया जाता था | इसका भुगतान ब्राह्मणों को दान पारिश्रमिक भुगतान होलकर राज्य द्वारा किया जाता था |वर्तमान में यह संख्या घटकर ११ और फिर ५ ब्राम्हणों तक सिमित हो गई है | मंदिर की दीवालो पर शिव महिम्न स्त्रोत्र शिलालेख के रूप में है जो की १०६३ AD से दिनांकित है |

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श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग

नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं की चरम आस्था का केंद्र है । ओम्कारेश्वर का यह शिव मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है और यहां पर मां नर्मदा स्वयं ॐ के आकार में बहती है नर्मदा के उत्तरी ......पूरा पढ़िए |

ओम्कारेश्वर के मंदिर

ओम्कारेश्वर में अनेक मंदिर हैं नर्मदा के दोनों दक्षिणी व उत्तरी तटों पर मंदिर हैं । पूरा परिक्रमा मार्ग मंदिरों आश्रमो से भरा हुआ है । 

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ओमकारेश्वर का इतिहास

मध्ययुगीन काल में मंधाता ओंकारेश्वर पर धार के परमार, मालवा के सुल्तान, ग्वालियर के सिंधिया जैसे तत्कालीन शासकों का शासन रहा और फिर अंत में यह 1894  मैं अंग्रेजों के अधीन हो गया | 
आधिपत्य के तहत आदिवासी भील सरदार नथ्थू भील का तब शासन था का शासन था और ......पूरा पढ़िए |

ओम्कारेश्वर के आश्रम

ओम्कारेश्वर  में नर्मदा के दोनों तटों पर अनेक आश्रम है । जो की अपने आप में हिन्दू  सनातन धर्म व ऋषि परम्पराओं के वाहक हैं ।   

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ओमकारेश्वर एक विकसित धार्मिक पर्यटन केंद्र है

ओमकारेश्वर पुराने किसी गाँव जेसा नहीं रहा है अब ओमकारेश्वर एक विकसित धार्मिक पर्यटन केंद्र है | कम व अधिक दरों वाले सामान्य व वातानुकूलित होटल , रेस्टारेंट इत्यादि हैं | यहाँ कई नए घाटों का निर्माण किया गया हे व पुराने घाटों की मरम्मत की गई है | कई ......पूरा पढ़िए |